यह बात उस समय की है जब मेरी छोटी बेटी दूसरी कक्षा में पढ़ती थी और लगभग सात वर्ष की थी। एक दिन उसकी क्लास टीचर ने अच्छा होमवर्क करने पर उसकी नोटबुक में ‘Very Good’ (वेरी गुड) लिख दिया। वह बहुत खुश होकर घर आयी और आते ही अपनी मम्मी को बताया कि देखो उसको आज होमवर्क में वेरी गुड मिला। जब तक उसने घर में एवं आस-पड़ोस में रहने वाले सबको नहीं बताया तब तक खाना भी नहीं खाया। यही नहीं शाम सात बजे तक मेरे आने का बेसब्री से इंतजार करती रही। जैसे ही मैंने घर के बाहर आकर स्कूटर रोका तो वह तुरन्त...
मेरा सबसे घनिष्ठ मित्र है चन्द्रशेखर। उसकी शादी के लगभग एक वर्ष बाद की बात है। मैं उसके घर उससे मिलने गया। वह घर पर नहीं था। अपनी पत्नी के साथ बाजार में कुछ खरीदने गया था। घर से गये लगभग 4-5 घंटे हो चुके थे और अब रात्रि के 9 बजने वाले थे। जब में उसके घर गया तो केवल अम्मा जी (चन्द्रशेखर की माताजी) ही थी। हमेशा हँसमुख रहने वाली अम्माजी उस दिन बड़ी ही खिन्न दिखाई दे रही थीं। जब मैंने चन्द्रशेखर के बारे में पूछा कि चन्द्रशेखर कहाँ गया है? कब तक वापस आयेगा? किस काम से बाहर गया है? तो अम्माजी के खि...
हाल ही में मैं एक गाँव में लगभग 60 वर्षीय बुजुर्ग से मिला। बातों ही बातों में उन्होंने अपनी खराब आर्थिक स्थिति का वर्णन करना शुरू कर दिया। गरीबी के कारण बुढ़ापे में अत्यन्त मुसीबत हो रही है। दो वक्त की रोटी मिलना भी मुश्किल हो गया है। बात करते जा रहे थे एवं लगभग आधा घंटे में ही दो बीड़ी पी चुके थे। जब उनकी खराब आर्थिक स्थिति का सुना तो मैंने पूछ लिया कि युवा अवस्था में अपने बुजुर्ग अवस्था के लिए बचत क्यों नहीं की, तो कहने लगे कि कुछ भी पैसा बचता ही नहीं था।
अब जरा ध्यान...
जब किसी भी कार्य को हम बार-बार करते हैं तो वह अन्तत: आदत बन जाती है। ये आदत अच्छी भी हो सकती है तो यह आदत बुरी भी हो सकती है। मैं यहाँ युवाओं में पड़ रही कुछ बुरी आदतों का जिक्र करना चाहता हूँ। जैसा कि मैंने आपको पूर्व में बताया कि मैं 35 वर्षों से कॉलेज स्तर के विद्यार्थियों को पढ़ा रहा हूँ एवं लगभग 10 वर्ष तक हमारे समाज के दो स्थानों के छात्रावास में अधीक्षक के रूप में कार्य कर चुका हूँ।
मैंने लगभग दस हजार युवाओं से (जिन्हें धूम्रपान की आदत थी) पूछा कि उन्हें बीड़ी-सिगरेट की आदत कैस...
आपकी भाषा, चलने-फिरने का ढंग, कपड़े पहनने का ढंग, खाने-पीने का तरीका आदि यानि सब कुछ इस दुनिया में जन्म लेने के बाद ही सीखा है, यानि आपका हर तौर-तरीका, आदत इस दुनिया की ही देन है। लेकिन आपका शरीर पूर्ण रूप से ईश्वर की ही देन है। हमारे शरीर का कोई भी भाग/अंग किसी कारखाने में तैयार नहीं किये जा सकते हैं। मानव शरीर ईश्वर की अनमोल कृति है। ईश्वर की इस अनमोल कृति की देखभाल करना, इसकी सार-संभाल करना आपकी जिम्मेदारी व धर्म है। सुबह-शाम रोजाना मन्दिर, मस्जिद, चर्च, गुरुद्वारा में पूजा-पाठ करने से ज्य...
यह 1888 की घटना है। सुबह जब उन्होंने अखबार पढऩा प्रारम्भ किया तो एक समाचार पढ़कर बहुत ही आश्चर्य में पड़ गये क्योंकि वह समाचार उनकी स्वयं की मृत्यु का था। अखबार में स्वयं की मृत्यु का समाचार पढऩे वाले ये व्यक्ति थे महान खोजकर्ता आविष्कारक अल्फ्रेड नोबेल (1833-1896)।
हुआ यूँ कि अल्फ्रेड नोबेल के भाई लुडविंग नोबेल की मृत्यु हुई लेकिन कुछ अखबारों में गलती से लुडविंग की बजाय उनके भाई अल्फ्रेड नोबेल की मृत्यु का समाचार छाप दिया। एक अखबार में समाचार की हैडलाइन इस प्रकार थी ‘मौत के सौद...
मानव स्वभाव बड़ा विचित्र है। हर गलत काम करने वाला अपनी गलती के लिए दूसरों को दोष देता है, परिस्थितियों को दोष देता है परन्तु खुद को दोष कभी नहीं देता है।
मेरा आपसे यही आग्रह है कि अपने कामों की जिम्मेदारी स्वीकार करें। यदि आप अपने सपने साकार करना चाहते हैं तो अपने प्रत्येक कार्य की 100 फीसदी जिम्मेदारी स्वयं को ही लेनी पड़ेगी, किसी अन्य व्यक्ति पर निर्भर होने से काम नहीं चलेगा। बहाने बहाना, परिस्थितियों को दोष देना, अपनी कमजोरी छिपाना एक छद्म प्रयास है। लगभग प्रत्येक व्...
इस दुनिया में आप जैसा न कोई पैदा हुआ है और न ही भविष्य में कभी पैदा होगा। अन्य व्यक्ति आप जैसा दिख सकता है, आपकी हुबहू नकल कर सकता है, लेकिन ठीक आप ही की तरह से वह सोच व कार्य नहीं कर सकता। आपका सोचना व आपकी प्रतिभा अद्वितीय (Unique) है। ठीक इसी प्रकार आपका जन्म किसी अद्वितीय प्रयोजन (Unique Purpose) के लिए हुआ है। आपको अपनी विशेषता, अपनी दक्षता, अपनी प्रतिभा को पहचान कर स्वयं आनन्दमय, समृद्धिपूर्ण, स्वस्थ व रचनात्मक जीवन जीना है तथा समाज के अन्य व्यक्तियों व प्राणियों को भी ऐसा ही जीवन जीने...
जब किसी भी कार्य को हम बार-बार करते हैं तो वह अन्तत: आदत बन जाती है। ये आदत अच्छी भी हो सकती है तो यह आदत बुरी भी हो सकती है। मैं यहाँ युवाओं में पड़ रही कुछ बुरी आदतों का जिक्र करना चाहता हूँ। जैसा कि मैंने आपको पूर्व में बताया कि मैं 35 वर्षों से कॉलेज स्तर के विद्यार्थियों को पढ़ा रहा हूँ एवं लगभग 10 वर्ष तक हमारे समाज के दो स्थानों के छात्रावास में अधीक्षक के रूप में कार्य कर चुका हूँ।
मैंने लगभग दस हजार युवाओं से (जिन्हें धूम्रपान...
मेरी आयु उस वक्त 7 या 8 वर्ष की थी। हमारे घर में उस वक्त दूध हेतु एक गाय रखी हुई थी। मैं देखता था कि गाय का दूध दुहने से पहले मेरी माँ आधा-एक घंटे तक गाय की पीठ को सहलाती थी, खाज करती थी, पीठ को थपथपाती थी, दूध निकालने से पहले कुछ न कुछ अच्छा चारा खिलाती थी, बछड़े को गाय की आँखों के समाने खड़ा रखती थी। यह सब होने पर गाय बड़े आराम से दूध देती थी।
सोचिये एक जानवर से कुछ पाने के लिए हमें उसे स्नेह, दुलार, पोषण आदि देना पड़ता है तो इन्सान स...