लगभग पाँच लाख विद्यार्थी युवाम के मार्फत मेरे सम्पर्क में आये हैं। मेरे सम्पर्क में आये इन सभी विद्यार्थियों से मैने कुछ न कुछ अच्छा सीखा है। एक बड़ी सीख जो मुझे मिली जो अब मेरा दृढ़ विश्वास बन चुकी है-वह यह है हम सभी पर संगत का असर जरूर होता है। इससे कोई अछूता नहीं रह सकता। हालांकि कुछ लोग कहते हैं कि उन पर संगत का असर नहीं होता पर मैं दावें के साथ कहता हूँ कि भले ही थोड़े समय के लिए असर न हो लेकिन दीर्घकाल में असर अवश्य होता है।
दोस्तों मैं कहना चाहूँगा कि भेड़-बकरियो...
समाज के उत्थान व पतन में मीडिया का भी बहुत बड़ा रोल है। मीडिया अपनी जिम्मेदारी निभाये। केवल अपना सर्कुलेशन बढ़ाने हेतु चाहे जैसी खबर न छापें। कुछ खबरें मीडिया ने ऐसे लोगों की प्राथमिकता के आधार पर छापीं जैसे कि ये लोग युवाओं के लिए बहुत बड़े आदर्श हो, जैसे कि
* पिछले वर्ष एक विदेशी मॉडल व फैशन डिजाइनर अपने 50 वर्षीय सातवें ‘ब्वाय फे्रंड’ का जन्म दिन मनाने राजस्थान आई थी। अखबारों में इस खबर को इस प्रकार जगह दी गई जैसे कि कोई बड़े ही आदर्श स्थापित करने वाली घटना है। शर्म नही...
सांयकाल 7 बजे ‘युवाम‘ की कक्षाएँ छूट चुकी थीं। मैं युवाम से निकला और सामने ही शॉपिंग कॉम्प्लेक्स/मॉल में कुछ सामान खरीदने चला गया। शायद शाम के साढ़े सात बज चुके थे। जब मॉल से वापस आ रहा था तो देखा कि मॉल की सीढिय़ों पर 6-7 युवा (जो कि किसी कॉलेज के विद्यार्थी थे) बैठे हुए थे। सामने ही एक खुली जीप खड़ी थी जो उन्हीं की थी। सीढिय़ों पर बैठे ये सभी सिगरेट के कश ले रहे थे। उनकी आपस की बातचीत की भाषा भी स्तरहीन थी। इसी बीच एक युवा उठा जीप तक गया, 3-4 मिनट जीप में बैठा और वापस आ गया, अन्य...
कोई भी माता-पिता नहीं चाहते हैं कि उनका बच्चा झूठ बोले, चोरी करे, ध्रूमपान करे, बेइमान बने आदि, लेकिन फिर भी कुछ बच्चे ये सारी बातें सीख जाते हैं, आखिर क्यों? आइये जानते है ऐसा क्यों होता है?
मैं प्रात: काल करीब 7-8 बजे अपनी संस्था ‘युवाम‘ जाता हूँ। लगभग 10 किलोमीटर की दूरी में 5 चौराहे पड़ते हैं जहाँ ट्रेफिक लाइटें लगी हुई हैं। इन चौराहों पर मेरी बड़ी ही अजीब स्थिति हो जाती है। देखता हूँ कि चाहे लाल बत्ती हो या हरी बत्ती कोई भी व्यक्ति इस वक्त साधारणतया इनका पालन नहीं करत...