यह 1888 की घटना है। सुबह जब उन्होंने अखबार पढऩा प्रारम्भ किया तो एक समाचार पढ़कर बहुत ही आश्चर्य में पड़ गये क्योंकि वह समाचार उनकी स्वयं की मृत्यु का था। अखबार में स्वयं की मृत्यु का समाचार पढऩे वाले ये व्यक्ति थे महान खोजकर्ता आविष्कारक अल्फ्रेड नोबेल (1833-1896)।
हुआ यूँ कि अल्फ्रेड नोबेल के भाई लुडविंग नोबेल की मृत्यु हुई लेकिन कुछ अखबारों में गलती से लुडविंग की बजाय उनके भाई अल्फ्रेड नोबेल की मृत्यु का समाचार छाप दिया। एक अखबार में समाचार की हैडलाइन इस प्रकार थी ‘मौत के सौदागर की मौत’ (The Merchant of Death is Dead)
अल्फ्रेड नोबेल ने डायनामाइट नामक एक विस्फोटक पदार्थ की खोज की थी, शायद इसीलिए समाचार की हैडलाइन थी-मौत के सौदागर की मौत। उक्त समाचार पढ़कर अल्फ्रेड नोबेल के अन्तर्मन में विचार आया क्या मेरी मृत्यु के पश्चात् मुझे दुनिया में इस प्रकार जाना जाएगा ‘मौत का सौदागर’, किसी अन्य अच्छे स्वरूप में क्यों नहीं।
1896 में अल्फ्रेड नोबेल की मृत्यु हो गई। जब उनकी वसीयत को पढ़ा तो लोगों को आश्चर्य हुआ कि उन्होंने अपनी सम्पूर्ण सम्पत्ति को दान देकर ‘नोबेल फाउंडेशन’ बनाने की इच्छा व्यक्त की। उनकी सम्पत्ति से होने वाली आय से ‘नोबेल पुरस्कार’ दिया जाना प्रस्तावित था। आज विश्व में भौतिक, रसायन, चिकित्सा, साहित्य व शान्ति आदि क्षेत्र में दिए जाने वाले नोबेल पुरस्कार सर्वाधिक प्रतिष्ठित माने जाते हैं।
आज हम उन अल्फ्रेड नोबेल को ‘मौत के सौदागर’ के रूप में नहीं बल्कि ‘नोबेल पुरस्कार’ के संस्थापक के रूप में जानते हैं।