संगत का असर

लगभग पाँच लाख विद्यार्थी युवाम के मार्फत मेरे सम्पर्क में आये हैं। मेरे सम्पर्क में आये इन सभी विद्यार्थियों से मैने कुछ न कुछ अच्छा सीखा है। एक बड़ी सीख जो मुझे मिली जो अब मेरा दृढ़ विश्वास बन चुकी है-वह यह है हम सभी पर संगत का असर जरूर होता है। इससे कोई अछूता नहीं रह सकता। हालांकि कुछ लोग कहते हैं कि उन पर संगत का असर नहीं होता पर मैं दावें के साथ कहता हूँ कि भले ही थोड़े समय के लिए असर न हो लेकिन दीर्घकाल में असर अवश्य होता है।

 

दोस्तों मैं कहना चाहूँगा कि भेड़-बकरियों के झुंड में रहकर शेर जैसे दहाडऩा नहीं सीखा जा सकता, मुर्गे-मुर्गियों के झुंड में रह कर बाज जैसे उडऩा नहीं सीखा जा सकता। अत: आज ही आप अपने संगत के लोगों पर नजर डालें और सोचें कि क्या आपकी संगत के लोग आपको जीवन में सफल बनने में मददगार हैं, क्या वे आपको जीवन में उन्नति हेतु प्रोत्साहित करते है, आदि आदि।

 

मैं जोर देकर कहना चाहता हूँ कि यदि आप जीवन में सफल व्यक्ति बनना चाहते हैं, खुशहाल जीवन जीना चाहते है तो बुरी संगत से बचें। कुसंगत से बचने में अपनी पूरी ताकत लगा दें और चाहे कितनी भी कठिनाई हो सत्संग को न छोड़े। सभ्य व शिक्षित लोगों के संग रहकर ही हम खुशहाल व शांतिपूर्ण जीवन जी सकते है। बुरे लोगों के संग रहने के बजाय तो अकेले रहना ज्यादा अच्छा है।

 

एक कवि ने कहा है- सत्संग मधु के समान और कुसंग नाली में बहते गन्दे जल के समान है।