प्रत्येक व्यक्ति अपने आपको महत्त्वपूर्ण ही नहीं बल्कि ‘अत्यन्त महत्त्वपूर्ण व्यक्ति’ (Very Important Person, VIP) समझता है, यानि प्रत्येक व्यक्ति में ‘महत्त्व’ पाने की जन्मजात तीव्र लालसा होती है। कोई भी व्यक्ति इसका अपवाद नहीं है।
आइये मैं आपको वास्तविक जीवन के कुछ उदाहरण बताता हूँ :
मान लीजिये आप अपने दोस्तों या परिवार के सदस्यों के साथ ग्रुप फोटो खिंचवाते है। जब यह ग्रुप फोटो तैयार होकर आपके पास आता है तो आप ग्रुप में सबसे पहले किसका फोटो तलाशते हैं? निश्चित रूप से आप अपना फोटो सबसे पहले तलाशते हैं।
जब आप घर से बाहर किसी पार्टी या अन्य कार्यक्रम में जाते हैं या आप अपने ही घर में कोई पार्टी या कार्यक्रम रखते हैं तो कितनी देर तक अपने आपको सँजाते-सँवारते हैं, कितनी बार दर्पण में अपनी शक्ल देखते हैं, अपने कपड़े दुरूस्त करते हैं, दूसरों से पूछते हैं कि इन कपड़ों में आप कैसे दिखते हैं, इत्यादि।
मेरे एक दोस्त है संजय जो एक विश्वविद्यालय में कॅरियर काउंसलर है। मैं एक दिन उनके ऑफिस में उनसे मिलने गया। थोड़ी देर बाद एक विद्यार्थी मार्गदर्शन के लिए उनके पास आया। अपनी उच्च शिक्षा के बारे में बताया और कॅरियर ऑप्शन के बारे में पूछा। संजय ने अच्छे कॅरियर के बारे में कुछ मार्गदर्शन दिया और 4-5 मिनट में ही अपनी बात खत्म कर दी। थोड़ी देर बाद एक अन्य विद्यार्थी मार्गदर्शन के लिए संजय से मिलने आया। उस विद्यार्थी ने अपनी बात कुछ इस तरह प्रारम्भ की। ‘सर, वर्षों से आपका नाम सुना है। मेरे बड़े भाई ने भी आपका मार्गदर्शन लिया था। आपके मार्गदर्शन के कारण ही आज वह एक बड़ा अधिकारी है। मुझे लगता है आपसे बढिय़ा मुझे और कोई गाइड नहीं कर सकता। मैं आपको इस क्षेत्र में एक अथॉरिटी मानता हूँ।’
और मेरा दोस्त संजय एक घण्टे तक उस विद्यार्थी को गाइड करता रहा एवं सफलता पाने के गुर बताता रहा। मुझे बड़ा आश्चर्य हुआ। पहले वाले विद्यार्थी को सिर्फ 4-5 मिनट एवं दूसरे विद्यार्थी को एक घण्टे तक समझाया। जानते हैं क्यों? क्योंकि दोनों विद्यार्थियों की ‘अप्रोच’ में अन्तर था। दूसरे विद्यार्थी ने संजय को ‘महत्त्वपूर्ण’ होने का अनुभव कराया। संजय के लिए यह एक बेशकीमती उपहार था।
चाहे आप कितने ही बड़े अधिकारी हों, या अमीर व्यक्ति हों, चाहे आप कितने ही बुद्धिमान या काबिल हों, यदि आप लोकप्रिय होना चाहते हैं, दूसरों से सम्मान पाना चाहते हैं तो हमेशा दूसरे व्यक्तियों को महत्त्वपूर्ण होने का अहसास कराओ। हर व्यक्ति को महत्त्वपूर्ण समझें एवं दूसरों के साथ वैसा ही व्यवहार करें जैसा व्यवहार आप अपने लिए चाहते हैं।
जब भी आप किसी से मिले, गर्मजोशी से हाथ मिलायें, चेहरे पर मुस्कान रखें व मिलने पर खुशी जाहिर करें। उसके व्यवसाय के सम्बन्ध में पूछें, उसके परिवार के सदस्यों के हालचाल जानें, उनकी समस्याओं को सुलझाने में सहायता करें, उनके दुख-तकलीफों में उनके साथ रहें, उनसे सहानुभूति रखें। सामने वाले व्यक्ति की इच्छाओं को समझें एवं उन इच्छाओं को पूरा हेतु अपना सहयोग व सलाह देवें। सामने वाले व्यक्ति के विचारों का पूरा सम्मान करें। दूसरे व्यक्ति आपकी सहायता करें तो उन्हें धन्यवाद देने की आदत विकसित करें।