मेरी आयु उस वक्त 7 या 8 वर्ष की थी। हमारे घर में उस वक्त दूध हेतु एक गाय रखी हुई थी। मैं देखता था कि गाय का दूध दुहने से पहले मेरी माँ आधा-एक घंटे तक गाय की पीठ को सहलाती थी, खाज करती थी, पीठ को थपथपाती थी, दूध निकालने से पहले कुछ न कुछ अच्छा चारा खिलाती थी, बछड़े को गाय की आँखों के समाने खड़ा रखती थी। यह सब होने पर गाय बड़े आराम से दूध देती थी।
सोचिये एक जानवर से कुछ पाने के लिए हमें उसे स्नेह, दुलार, पोषण आदि देना पड़ता है तो इन्सान से डांट-डंपटकर कुछ पा सकते है क्या? नहीं।
जरा ध्यान से देखें हम अपने जीवन में कितनी बार दूसरों की भावनाओं को अपने कदमों तले रौंदते चले जाते हैं। दूसरों की आलाचना, बुराई, निन्दा करते रहते है। अपनी मनमानी करते हैं। अपने जीवन साथी, बच्चों, सहयोगियों, कर्मचारियेां को डांटते-फटकारते रहते हैं, उनकी आलोचना करते हैं और कभी यह सोचते ही नहीं कि हम उनके आत्म सम्मान को ठेस पहुँचा रहे हैं। आप ऐसा करके किसी को बदल नहीं सकते हैं। बल्कि आलोचना या फटकार की बजाय दयालु व दोस्ताना शैली और सराहना से लोगों की मानसिकता अधिक तेजी से बदल सकते हैं।
अत: जीवन में सफलता प्राप्त करने हेतु मानव स्वभाव को समझना अत्यन्त आवश्यक है। मानव स्वभाव के सम्बन्ध में आगे कुछ महत्वपूर्ण तथ्य दिये जा रहे हैं उन्हें जीवन में आत्मसात् करें।