जब तू आया जगत में ….. जब तू आया जगत में, जग हँसे तुम रोये। ऐसी करनी कर चलो कि तुम हँसो जग रोये।।

जब तुम इस दुनिया में आये (यानि बच्चे के रूप में जब तुम्हारा जन्म हुआ) तो तुम रोये और परिवार के लोग हँसे यानि प्रसन्न हुए। लेकिन अब तुम इतना अच्छा जीवन जीओं, ऐसे (अच्छे) कार्य (करनी) करो कि जब तुम दुनिया से जाओ (यानि जब तुम्हारी मृत्यु हो) तो तुम हँसो व दुनिया रोये (यानि दुनिया के लोग विलाप करें कि इतना अच्छा इंसान हमें क्यों छोड़ गया?)

… तो दोस्तों, क्या कभी आपने भी सोचा है कि जब आप इस दुनिया को छोड़कर जाएँगे तो क्या धरोहर छोड़ कर जायेंगे? दुनिया के लोग आपको किस रूप में याद करेंगे?

आखिर ऐसे कौन से गुण है, ऐसी कौन-सी खूबियाँ है, ऐसे कौन से सिद्धान्त है, ऐसे कौन से नियम कायदे है, वह कौन-सा रास्ता व तरीका है, वह कौन-सी शैली है—जिनका पालन करने पर आप एक खुशहाल जीवन जी सकते हैं, अन्य लोगों से सम्मान, स्नेह व प्रेम  पा सकते है। दुनिया में हर व्यक्ति आपकी प्रशंसा करें, तारीफ करें, आपका अनुसरण करें, आपको अपना आदर्श मानें, आप जीवन पर्यन्त स्वस्थ रहें, आपको भौतिक सुविधाएँ मिलें, आप आध्यात्मक उन्नति कर मानसिक शान्ति प्राप्त करें।

तो आइये इस पुस्तक के मार्फत मैं अपने 35 वर्ष के शिक्षण काल में हुए कुछ अनुभवों को आप से बाँटना चाहता हूँ।

मैं इस पुस्तक में कोई भी नई बातें नहीं लिख रहा हूँ। ये सारी बातें सदियों पुरानी है। ये बातें सभी धर्मों के धर्म ग्रन्थों से हम सीख सकते हैं। ये बातें सैंकड़ों हजारों वर्षों से हमारे ऋषि-मुनि, साधु-संत, फकीर-सूफी व हमारे पूर्वज अपनी नसीहतों में कहते आये हैं।

अत: आप यह न समझें कि इस पुस्तक में कोई नये खोजे गये तथ्य होंगे या बड़े प्रभावशाली शब्दों वाली लच्छेदार भाषा होगी। मैं सामान्य तरीके से दैनिक बोलचाल की भाषा में यहाँ अपने कुछ संस्करण लिख रहा हूँ।